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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2782
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।

उत्तर -

एक गृहिणी को प्रत्येक पारिवारिक सदस्य के घरेलू उपयोग में आने वाले विभिन्न . प्रकार के परिधान धोने पड़ते हैं। ये परिधान सूत, ऊन, रेशम, लिनन व रेयॉन आदि से निर्मित होते हैं। वस्त्रों के तन्तु के अनुसार उनके धोने की विधि में भी अन्तर रहता है। सभी प्रकार के वस्त्रों को एक ही रीति से नहीं धोया जा सकता। प्रायः देखा जाता है कि धोबी लोग वस्त्रों को एक साथ भट्टी पर चढ़ा देंगे, अथवा पत्थर पर पीट-पीट कर धोयेंगे, ऐसा करने से कीमती वस्त्रों के मुलायम व नाजुक तन्तुओं को क्षति पहुँचती है, उनका जीवन कम रह जाता है तथा वस्त्र शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं। वस्त्रों को उचित रीति से धोने पर वस्त्र की कार्यक्षमता व टिकाऊपन में वृद्धि होती है तथा वस्त्र अधिक दिन तक सन्तुष्टि प्रदान करते हैं।

प्रायः धुलाई क्रिया में दो कार्य सम्मिलित हैं-

(a) वस्त्रों को धूल व चिकनाई की गन्दगी से अलग करना।
(b) धुले वस्त्रों पर उचित परिसज्जा करके उन्हें सुन्दर रूप देना।

धुलाई कार्य विधि
(Method of Laundering)

वस्त्रों के गन्दे हो जाने पर उन्हें धोने की आवश्यकता प्रतीत होती है। वस्त्रों में कुछ ऐसी गन्दगी होती है जो बाहर से ही दिखाई पड़ने लगती है तथा कुछ गन्दगी ऐसी भी होती है जो वस्त्र के प्रयोग के कारण स्वाभाविक रूप से आ जाती है। वस्त्र को गन्दे होने पर नियमित रूप से अवश्य धोना चाहिए। वस्त्र की धुलाई की विधि उस पर स्थित धूल व गन्दगी की किस्म पर निर्भर करती है।

वस्त्र पर कुछ गन्दगी बाहर से दिखने वाले अलग्न (loose) धूल के कणों के कारण होते हैं जिन्हें दूर करना आसान है। यह गन्दगी वस्त्र को झाड़ने, फटकारने या ब्रुश करने से ही दूर की जा सकती है। पानी में वस्त्र को फुलाने पर भी यह गन्दगी दूर हो जाती है। जबकि दूसरे प्रकार की गन्दगी अन्दरूनी (internal) होती है। यह गन्दगी चिकनाई के साथ वस्त्र पर चिपकी हुई होती है। बिना चिकनाई हटाए (चिकनाई का पायसीकरण किये बिना) इस गन्दगी को नहीं हटाया जा सकता। चिकनाई को पूर्णतः हटा देने पर ही यह गन्दगी दूर हो सकती है। चिकनाई को दूर करने के लिए चिकनाई अवशोधक या चिकनाई विलायकों का प्रयोग किया जा सकता है। चिकनाई को हटा देने के पश्चात् वस्त्र पर हल्का या भारी दबाव (Pressure) डालकर गन्दगी को दूर किया जाता है।

वस्त्र पर दबाव डालकर धुलाई करने की निम्नलिखित विधियाँ है-

1. रगड़ कर (By Friction) - रगड़ का प्रयोग मोटे व सूती वस्त्रों पर किया जा सकता है। महीन व कोमल तन्तुओं से बने वस्त्रों पर रगड़ का हानिकारक प्रभाव पड़ता है और उनके तन्तुओं को हानि पहुँचती है। रगड़ की प्रक्रिया करने की भी निम्नलिखित विधियाँ हैं-

(a) हाथों से रगड़ना (Friction by Hands) - हाथ से केवल उन वस्त्रों को ही रगड़ा जा सकता है जो छोटे हों तथा हाथ में पकड़ाई में आ सकें। वस्त्रों को पहले गर्म पानी में डालकर फुला लिया जाता है। तब वस्त्र को उस पानी में से निकालकर, निचोड़कर साबुन लगाकर कपड़े को दोनों हाथ का प्रयोग करके रगड़ लिया जाता हैं। रगड़ने की क्रिया वस्त्र के अत्यधिक गन्दे भाग जैसे कमीज का कालर, पेन्ट की मोहरी आदि पर की जाती है। वस्त्र को गर्म पानी में ही खंगाल कर स्वच्छ कर लेना चाहिए।

(b) मार्जक ब्रुश द्वारा रगड़ना (Friction by Scrubbing Brush) - जो वस्त्र मोटे व मजबूत किस्म के होते हैं उन्हें हाथ से रगड़कर साफ नहीं किया जा सकता। उनके लिए मार्जक ब्रुश का प्रयोग किया जाता है। यह ब्रुश कपड़े की विभिन्नता के अनुसार कड़े या कोमल लिए जा सकते हैं वस्त्र को गर्म पानी में भिगोकर, साबुन लगाकर, मार्जदा ब्रुश से कपड़े पर रगड़ने की क्रिया की जाती है। अधिक गन्दे स्थानों पर ब्रुश को कस कर चलाना चाहिए। वस्त्र पर बार-बार गर्म पानी के छींटे देकर ब्रुश करना चाहिए। सूखी अवस्था में वस्त्र को रगड़ने पर हानि पहुँचती है। वस्त्र साफ हो जाने पर स्वच्छ व थोड़े गर्म पानी में खँगाल कर साफ कर लिया जाता है।

(c) हाथ से घिसने व बुश द्वारा (By Friction and Brush) – वे वस्त्र जो अधिक मजबूत होते हैं उन पर पहले वाली दोनों विधियों का सम्मिलित रूप से प्रयोग किया जाता है। कपड़े को गर्म पानी में भिगोने के पश्चात्, साबुन लगाकर हाथ से रगड़कर व ब्रुश से मार्जन करके घिसा जाता है। स्थायी फैन के बनाने से गन्दगी गलने लगती है। पानी से खंगाल कर वस्त्र को निकालकर स्वच्छ कर लिया जाता है।

2. हल्का दबाव डालकर (By Light Pressure) - यह प्रक्रिया उन्हीं वस्त्रों के लिए प्रयुक्त की जाती है जो कोमल व सूक्ष्म रचना वाले तन्तुओं से निर्मित होते हैं। रगड़ने व घिसने से इनके कोमल तन्तु नष्ट हो जाने का भय रहता है। रंगीन, ऊनी, रेशमी तथा बुने हुए वस्त्रों को इसी विधि का प्रयोग करके धोया जाता है।

इस विधि में वस्त्र को साबुन के घोल में डालकर, वस्त्र को हल्के-हल्के प्रकार से हथेली व अँगुलियों से दबा-दबाकर धुलाई की जाती है। यह क्रिया उसी प्रकार की जाती है जिस प्रकार हथेली व अँगुलियों का प्रयोग आटा गूंथने में किया जाता है। इसीलिए इस विधि को गूंथने की प्रक्रिया (Kneading Process) भी कहते हैं।

इस विधि में वस्त्र के तन्तुओं को किसी प्रकार की हानि की आंशका नहीं रहती है। किसी विशेष उपकरण की भी आवश्यकता नहीं पड़ती। किसी बाल्टी में वस्त्र के अनुकूल ताप का पानी लेकर साबुन का फैन उत्पन्न कर लिया जाता है। उसमें वस्त्र को डालकर कपड़े पर आटा गूँथने (Flour Kneading) जैसी क्रिया की जाती है। कपड़े को मुट्ठी में भींचने पर उसमें से साबुन का गन्दा पानी बाहर निकल जायेगा। तब पुनः वस्त्र को फेन में डालने और फिर यही क्रिया पुनः पुनः दोहराई जाती है। कपड़ा साफ हो जाने पर उसे स्वच्छ जल में खंगाल लें। कपड़े के गन्दे स्थानों (कालर, कप आदि) पर कुछ ताजा साबुन का फेन लगाकर हाथ से या ब्रुश का हल्का प्रयोग करके रगड़ देना चाहिए। यदि वस्त्र फिर भी साफ न हुआ हो तो उसे पुनः या नया फेन बनाकर उसमें डालें।

3. सक्शन सिद्धान्त का प्रयोग करके (By Suction) - सक्शन विधि से सभी प्रकार के वस्त्र धोने का काम किया जा सकता है। बहुधा बड़े कपड़ों को जिनकी हाथ से गूँथकर व निपीडन की क्रिया द्वारा साफ करना सम्भव नहीं होता; इन वस्त्रों के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है। इससे हाथ थकते नहीं तथा वस्त्र भी शीघ्र ही साफ हो जाता है। बहुधा देखा गया है कि हाथ से गूँथकर कपड़ा साफ करने में गृहिणी शीघ्र ही थक जाती है। सक्शन विधि द्वारा श्रम व समय दोनों की ही बचत होती है। सक्शन वाशन द्वारा हल्का दबाव डालकर वस्त्र को धोया जाता है।

सक्शन वाशर की तुलना एक हैंडलयुक्त, उन्नतोदर तल वाले छिद्र युक्त कटोरे से होती है। वस्त्र को साबुन के घोल में डुबोकर सक्शन वाशर द्वारा वस्त्र पर हल्का दबाव (Pressure) डाला जाता है। तुरन्त ही उसे उठा लिया जाता है। कुछ दबाव जो छिपों द्वारा कटोरे में आ गया था, वाशन को ऊपर उठा लेने पर छिद्रों द्वारा निकल पड़ता है और पुनः वस्त्र पर ही गिरता है। इस प्रकार एक बार सक्शन वाशर द्वारा वस्त्र को दबाया तथा पुनः उसे ऊपर उठाकर पुनः वस्त्र को दबाया जाता है। प्रक्रिया बार-बार करते जाते हैं तथा इस बीच वस्त्र को उलटते-पलटते भी जाते हैं।
वस्त्र के साफ हो जाने पर खंगालकर स्वच्छ पानी में धो लिया जाता है। सक्शन वाशन को प्रयोग करने के बाद धोकर, सुखाकर ही रखना चाहिए।

4. धुलाई की मशीन का प्रयोग करके - वस्त्रों को धुलाई की मशीन द्वारा कम समय व कम श्रम द्वारा ही साफ किया जा सकता है। ये धुलाई की मशीनें अनेक आकार की मिलती हैं। कार्य प्रणाली प्रायः एक-सी ही रहती है। कुछ धुलाई की मशीनें हाथ से भी चलती हैं जबकि कुछ विद्युत द्वारा। मशीन में साबुन का घोल लेकर उसमें गन्दे वस्त्र भरकर मशीन को चालू कर दिया जाता है। साबुन के फेन उत्पन्न करने व वस्त्र हिलाने का कार्य मशीन स्वंय करती है।

धुलाई मशीन का प्रयोग करते समय अत्यन्त सावधानी व सतर्कता बरतनी चाहिए। यह एक महँगा साधन है। इनकी देख-रेख, प्रयोग विधि व संरक्षण आदि सभी बातों की जानकारी प्रयोगकर्ता को होना आवश्यक है। मशनी में एक ही समय में अधिक वस्त्र नहीं भर देने चाहिएं। बड़े वस्त्रों को एक-दो ही बार डालना चाहिए। अत्यधिक छोटे वस्त्र हों तो उन्हें तकिये के गिलाफ में भरकर, मशीन में डालना चाहिए। धुलाई की विधि व मशीन के प्रयोग करने का भरपूर ज्ञान होना अपेक्षित है। कभी भी गीले हाथों से स्विच नहीं पकड़ना चाहिये नहीं तो करन्ट लगने का भय रहता है। प्रयोग के बाद मशीन को स्वच्छ पानी से साफ करके पोंछ कर रखना चाहिए। रोलर्स को सदैव सुखाकर ही रखना चाहिए।

विभिन्न वस्त्रों की धुलाई - अलग-अलग तन्तुओं से बने वस्त्रों को अलग-अलग करके धुलाई की योजना बनानी चाहिए। कुछ प्रकार के वस्त्रों की धुलाई के निम्न विवरण प्रस्तुत हैं-

सूती वस्त्रों की धुलाई की विधियाँ - इनकी धुलाई जल, साबुन, सोडा आदि से की जाती है। अतः सर्वप्रथम रंगीन तथा सफेद कपड़ों को अलग-अलग समूहों में बाँट लीजिये और अलग-अलग धोइए अन्यथा रंगीन वस्त्रों से निकलने वाला रंग सफेद कपड़ों को खराब भी कर सकता है

सफेद वस्त्रों को धोना

आवश्यक सामग्री - कपड़े धोने का साबुन, कोई अच्छा डिटर्जेन्ट या कपड़े धोने का सोडा, कोई चौड़ा सा बर्तन, पानी, पानी गर्म करने का साधन आदि।

धोने की विधि - सर्वप्रथम कपड़ों के कफ, कालर व अधिक गन्दे स्थानों पर साबुन मलना चाहिए। एक भगोने में पानी गर्म करने के लिए रख दीजिये, उसमें साबुन व सोडा डाल दीजिये। जब पानी में उबाल आ जाये तब उसको लकड़ी के डण्डे से चला दीजिए। उसमें गन्दे वस्त्रों को डाल दीजिए। घोल को बीच-बीच में चलाते रहना चाहिए। अब भगोना नीचे उतारकर हल्का-हल्का पीटकर मैल निकाल दीजिये। साफ पानी में वस्त्रों को डालिए और बाहर निकालिए। वस्त्रों पर साफ पानी पुनः डालिए और उन्हें हाथ से रगड़िए। कपड़ों से साबुन पूर्णतः निकलने तक यह प्रक्रिया दोहराती रहिए। अब इन्हें निचोड़कर नील, टिनोपाल (रानीपाल) व कलफ लगाकर धूप में रस्सी पर डालकर फैला दीजिए तथा क्लिप लगा दीजिए।

रेशमी कपड़ों की धुलाई - रेशमी वस्त्रों के तन्तु कोमल व चमकदार होते हैं। रेशम के तन्तु थोड़ी-सी असावधानी से नष्ट हो जाते हैं। उनकी चमक नष्ट हो जाती है। ये सिकुड़ते भी नहीं। इनको न तो रगड़ना चाहिए, न ही गर्म जल से धोना चाहिए। रेशमी वस्त्रों को हल्के गुनगुने जल से धोना सही रहता है। रेशम के वस्त्र सर्फ या जैन्टिल आदि से धोने पर उत्तम रहते हैं।

धुलाई की विधि-

(1) हल्का गुनगुना पानी लेकर उसमें सर्फ, जैन्टिल या रीठे का सत डालकर झाग बना लें, फिर उसमें रेशमी वस्त्रों को भिगो दें।

(2) अधिक गन्दे स्थानों को हल्के हाथ से रगड़कर साफ करें।
(3) रेशमी वस्त्रों को ब्रुश या कड़े हाथ से न रगड़ा जाए।
(4) रेशमी वस्त्रों को धीरे-धीरे हाथ से दबा दबा कर साफ करें।

(5) वस्त्र साफ हो जाने पर उन्हें साफ ठण्डे पानी में 4-5 बार खंगालना चाहिए जिससे साबुन पूरी तरह निकल जाये।

(6) रेशमी वस्त्रों को निचोड़ना नहीं चाहिए। निचोड़ने से कपड़े के ताने व बाने के धागे अपने स्थानों से हटकर उसे छिद्रयुक्त रूप दे देते हैं। अतः रेशमी वस्त्रों को या तो दोनों हाथों से दबाकर पानी निकाला जाना चाहिए अथवा तौलिये में लपेटकर हल्के से निचोड़ा जाना चाहिए।

(7) रेशमी कपड़ों की चमक बनाये रखने के लिए धुले रेशमी कपड़ों को 1/2 बाल्टी जल में 50 मिली - सिरका अथवा 25 मिली मेथिलेटेड स्प्रिट डालकर हिला लें और कपड़ों को डालकर तुरन्त निकाल लें।

(8) रेशमी वस्त्रों को सदैव छाया में उल्टा करके सुखाना चाहिए। ऐसा न करने पर इनका रंग खराब हो जायेगा और रेशमी सफेद कपड़े पीले पड़ जायेंगे।

रेशमी कपड़ों में कलफ लगाना - रेशमी वस्त्रों में प्राकृतिक गोंद और चमक होती है, जो थोड़ा गीला रहने पर प्रेस करने से कड़ापन लां देती है। फिर भी यदि रेशमी वस्त्रों में कलफ की आवश्यकता हो, तो गोंद का कलफ लगाना चाहिए।

गोंद का कलफ लगाना - गोंद 1 बड़ा चम्मच, पानी 1 मग लें। गोंद को महीन पीसकर थोड़े से पानी में भिगो दें और जब वह घुल जाये तो 1/2 लीटर पानी गर्म करके उसमें डाल दें, धीमी आँच पर रखें और चलाते जायें। जब अच्छी प्रकार गाढ़ा हो जाये तो कपड़ों के अनुसार ठण्डा पानी मिलाकर रेशमी वस्त्रों पर लगायें।

ऊनी कपड़ों की धुलाई - ऊनी वस्त्रों के तन्तु अधिक गर्मी व अधिक सर्दी में खराब हो जाते हैं। अतः ऊनी वस्त्र धोते समय बहुत सावधानी की आवश्यकता है।

(1) ऊनी वस्त्र सूखे हों अथवा गीले, निचोड़ने नहीं चाहिएँ।
(2) ऊनी वस्त्र बढ़िया उत्तम कोटि के जैन्टिल या साबुन से धोने चाहिएँ।

(3) ऊनी वस्त्रों को अधिक समय गन्दा न रखें। ऊनी तन्तुओं को काटने वाले कीड़े, वस्त्रों को काटकर खराब कर देते हैं।

(4) ऊनी वस्त्रों को झटककर उनकी धूल निकाल देनी चाहिए।
(5) वस्त्र धोने से पूर्व उनको भिगोना नहीं चाहिए। ऐसा करने से उनके धागे कमजोर हो जाते हैं।

ध्यान देने योग्य मुख्य बातें -

(1) ऊनी वस्त्र धोने से पूर्व ऊनी वस्त्रों के काज इत्यादि को बन्द अवश्य कर लेना चाहिए अन्यथा इनका आकार बढ़ जाता है।

(2) ऊनी वस्त्रों को चारपाई, मेज या समतल स्थान पर सुखाना चाहिए।
(3) ऊनी वस्त्रों को धोने से पूर्व उनके धब्बों को छुटा देना चाहिए।

(4) ऊनी वस्त्रों को पटककर नहीं धोना चाहिए, इससे इनके तन्तु नष्ट हो जाते हैं।

धुलाई की विधि -

(1) सर्वप्रथम ऊनी वस्त्रों की धूल ब्रुश से झाड़ लेनी चाहिए।

(2) इसके पश्चात् ऊनी वस्त्रों को साबुन के पानी में भिगोयें। उन्हें भली-भाँति हल्के दबाव से रगड़ें तथा वस्त्रों को पानी के भीतर ही रखें। वस्त्रों को रगड़ने के लिए कोमल मुलायम बालों वाले ब्रुश का ही प्रयोग करना चाहिए।

(3) अब वस्त्रों को पहले एक पानी में से निकाल लिया जाये, फिर हाथ से दबा-दबाकर इनका पानी निकाल देना चाहिए।

(4) इन्हीं वस्त्रों को दूसरे पानी में से निकालें। वस्त्रों को पानी में अच्छी प्रकार से रगड़ना चाहिए ताकि साबुन का प्रभाव समाप्त हो जाये।

(5) साबुन का प्रभाव समाप्त होने पर हाथ से दबाकर वस्त्र का सारा पानी निचोड़ दें, फिर तौलिये में लपेटकर इसकी नमी को सुखाने का प्रयास करें।

ऊनी वस्त्रों को सुखाना -

(1) ऊनी वस्त्रों को समतल जगह (मेज, चारपाई) पर ही सुखाना चाहिए।

(2) ऊनी वस्त्रों को सुखाते समय वस्त्र पर कोई सफेद महीन कपड़ा डाल दें। सीधी सूर्य की किरणों से ऊनी कपड़ों के रोयें नष्ट हो जाते हैं जिसके फलस्वरूप कपड़ों में गर्मी कम रह जाती है।

(3) बाजार के मशीन के बुने ऊनी कपड़ों को लटकाकर भी सुखाया जा सकता है।

कृत्रिम वस्त्रों की धुलाई

धुलाई की विधि - कृत्रिम कपड़ों को अधिक क्षारयुक्त पदार्थ और अधिक गर्म पानी से नहीं धोना चाहिए। इनको रगड़कर भी नहीं धोना चाहिए। रगड़ने से ये शीघ्र ही फट जाते हैं।

(1) इनको धोने के लिए उत्तम श्रेणी के साबुन का ही उपयोग करना चाहिए, जैसे- जैन्टिल, सर्फ आदि।

(2) गुनगुने पानी में साबुन डालकर खूब झाग उठाकर ही वस्त्रों को उसमें डालें। (3) 5-10 मिनट बाद हाथों से दबाकर वस्त्र की गन्दगी साफ करें।

(4) अधिक गन्दगी वाले भाग पर कपड़े रगड़ने वाले ब्रुश का भी प्रयोग किया जा सकता

(5) जब वस्त्र साफ हो जाये, तो उसे तब तक साफ पानी में से निकालें जब तक कि उससे साबुन का प्रभाव दूर न हो जाये।

(6) इन वस्त्रों को निचोड़ना नहीं चाहिए बल्कि हाथ से दबाकर ही या लटकाकर ही जल निकाल देना चाहिए।

(7) सूखे तौलिये में लपेटकर निचोड़ने से भी जल को निकाला जा सकता है।
(8) इन कपड़ों को छायादार सूखे स्थान पर ही सुखाना चाहिए।

(9) रंगीन और छपे हुए वस्त्रों को धोने के लिए इन्हें पहले थोड़े से पानी में दो चम्मच नमक अथवा सिरका डालकर दस मिनट भिगोएँ। इसके बाद साबुन के घोल में डालकर इन्हें साफ करें।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- विभिन्न प्रकार की बुनाइयों को विस्तार से समझाइए।
  2. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 1. स्वीवेल बुनाई, 2. लीनो बुनाई।
  3. प्रश्न- वस्त्रों पर परिसज्जा एवं परिष्कृति से आप क्या समझती हैं? वस्त्रों पर परिसज्जा देना क्यों अनिवार्य है?
  4. प्रश्न- वस्त्रों पर परिष्कृति एवं परिसज्जा देने के ध्येय क्या हैं?
  5. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1) मरसीकरण (Mercercizing) (2) जल भेद्य (Water Proofing) (3) अज्वलनशील परिसज्जा (Fire Proofing) (4) एंटी-सेप्टिक परिसज्जा (Anti-septic Finish)
  6. प्रश्न- परिसज्जा-विधियों की जानकारी से क्या लाभ है?
  7. प्रश्न- विरंजन या ब्लीचिंग को विस्तापूर्वक समझाइये।
  8. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabrics) का वर्गीकरण कीजिए।
  9. प्रश्न- कैलेण्डरिंग एवं टेण्टरिंग परिसज्जा से आप क्या समझते हैं?
  10. प्रश्न- सिंजिइंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- साइजिंग को समझाइये।
  12. प्रश्न- नेपिंग या रोयें उठाना पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - i सेनफोराइजिंग व नक्काशी करना।
  14. प्रश्न- रसॉयल रिलीज फिनिश का सामान्य परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- परिसज्जा के आधार पर कपड़े कितने प्रकार के होते हैं?
  16. प्रश्न- कार्य के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  17. प्रश्न- स्थायित्व के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  18. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabric) किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
  19. प्रश्न- स्काउअरिंग (Scouring) या स्वच्छ करना क्या होता है? संक्षिप्त में समझाइए |
  20. प्रश्न- कार्यात्मक परिसज्जा (Functional Finishes) किससे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  21. प्रश्न- रंगाई से आप क्या समझतीं हैं? रंगों के प्राकृतिक वर्गीकरण को संक्षेप में समझाइए एवं विभिन्न तन्तुओं हेतु उनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- वस्त्रोद्योग में रंगाई का क्या महत्व है? रंगों की प्राप्ति के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- रंगने की विभिन्न प्रावस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कपड़ों की घरेलू रंगाई की विधि की व्याख्या करें।
  25. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा रंगों द्वारा कैसे की जाती है? बांधकर रंगाई विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- बाटिक रंगने की कौन-सी विधि है। इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।
  27. प्रश्न- वस्त्र रंगाई की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।
  28. प्रश्न- वस्त्रों की रंगाई के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  29. प्रश्न- डाइरेक्ट रंग क्या हैं?
  30. प्रश्न- एजोइक रंग से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- रंगाई के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त में इसका वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dye) के लाभ तथा हानियाँ क्या-क्या होती हैं?
  33. प्रश्न- प्राकृतिक रंग (Natural Dyes) किसे कहते हैं?
  34. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dyes) के क्या-क्या उपयोग होते हैं?
  35. प्रश्न- छपाई की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- इंकजेट (Inkjet) और डिजिटल (Digital) प्रिंटिंग क्या होती है? विस्तार से समझाइए?
  37. प्रश्न- डिजिटल प्रिंटिंग (Digital Printing) के क्या-क्या लाभ होते हैं?
  38. प्रश्न- रंगाई के बाद (After treatment of dye) वस्त्रों के रंग की जाँच किस प्रकार से की जाती है?
  39. प्रश्न- स्क्रीन प्रिटिंग के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- स्टेन्सिल छपाई का क्या आशय है। स्टेन्सिल छपाई के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक रंगाई प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताइए।
  42. प्रश्न- ट्रांसफर प्रिंटिंग किसे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  43. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक छपाई (Polychromatic Printing) क्या होती है? संक्षिप्त में समझाइए।
  44. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए : (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  49. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  50. प्रश्न- कसूती कढ़ाई का विस्तृत रूप से उल्लेख करिए।
  51. प्रश्न- सांगानेरी (Sanganeri) छपाई का विस्तृत रूप से विवरण दीजिए।
  52. प्रश्न- कलमकारी' छपाई का विस्तृत रूप से वर्णन करिए।
  53. प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।
  54. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- जरदोजी कढ़ाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  56. प्रश्न- इकत शब्द का अर्थ, प्रकार तथा उपयोगिता बताइए।
  57. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  58. प्रश्न- बगरू (Bagru) छपाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  59. प्रश्न- कश्मीरी कालीन का संक्षिप्त रूप से परिचय दीजिए।
  60. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों पर संक्षिप्त में एक टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  63. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  64. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  65. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए |
  66. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- पटोला वस्त्रों का निर्माण भारत के किन प्रदेशों में किया जाता है? पटोला वस्त्र निर्माण की तकनीक समझाइए।
  68. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  69. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- पुरुषों के वस्त्र खरीदते समय आप किन बातों का ध्यान रखेंगी? विस्तार से समझाइए।
  71. प्रश्न- वस्त्रों के चुनाव को प्रभावित करने वाले तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- फैशन के आधार पर वस्त्रों के चुनाव को समझाइये।
  73. प्रश्न- परदे, ड्रेपरी एवं अपहोल्स्ट्री के वस्त्र चयन को बताइए।
  74. प्रश्न- वस्त्र निर्माण में काम आने वाले रेशों का चयन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  75. प्रश्न- रेडीमेड (Readymade) कपड़ों के चुनाव में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  76. प्रश्न- अपहोल्सटरी के वस्त्रों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  77. प्रश्न- गृहोपयोगी लिनन (Household linen) का चुनाव करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है?
  78. प्रश्न- व्यवसाय के आधार पर वस्त्रों के चयन को स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- सूती वस्त्र गर्मी के मौसम के लिए सबसे उपयुक्त क्यों होते हैं? व्याख्या कीजिए।
  80. प्रश्न- अवसर के अनुकूल वस्त्रों का चयन किस प्रकार करते हैं?
  81. प्रश्न- मौसम के अनुसार वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करते हैं?
  82. प्रश्न- वस्त्रों का प्रयोजन ही वस्त्र चुनाव का आधार है। स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- बच्चों हेतु वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करेंगी?
  84. प्रश्न- गृह उपयोगी वस्त्रों के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातें बताइए।
  85. प्रश्न- फैशन एवं बजट किस प्रकार वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं? समझाइये |
  86. प्रश्न- लिनन को पहचानने के लिए किन्ही दो परीक्षणों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- ड्रेपरी के कपड़े का चुनाव कैसे करेंगे? इसका चुनाव करते समय किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?
  88. प्रश्न- वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।
  90. प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
  91. प्रश्न- निम्नलिखित दागों को आप किस प्रकार छुड़ायेंगी - पान, जंग, चाय के दाग, हल्दी का दाग, स्याही का दाग, चीनी के धब्बे, कीचड़ के दाग आदि।
  92. प्रश्न- ड्राई धुलाई से आप क्या समझते हैं? गीली तथा शुष्क धुलाई में अन्तर बताइये।
  93. प्रश्न- वस्त्रों को किस प्रकार से संचयित किया जाता है, विस्तार से समझाइए।
  94. प्रश्न- वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- धुलाई की कितनी विधियाँ होती है?
  96. प्रश्न- चिकनाई दूर करने वाले पदार्थों की क्रिया विधि बताइये।
  97. प्रश्न- शुष्क धुलाई के लाभ व हानियाँ लिखिए।
  98. प्रश्न- शुष्क धुलाई में प्रयुक्त सामग्री व इसकी प्रयोग विधि को संक्षेप में समझाइये?
  99. प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
  100. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
  101. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचयित करने की विधि बताए।

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